!!! आंशु - ओं के मोती...
"शिखर से शून्य तक..."
♣♣♣ " ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं, और नीचे जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं..."
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Tuesday, 7 February 2012
एक छोटी कहानी ....
आ
ज का दिन मेरे लिए कुछ खास तो नहीं, लेकिन सोचा एक छोटी कहानी ही लिख दूँ...
लोगो को अक्सर मैंने कहते सुना है की मेरे पास समय नहीं है पिताजी या माताजी .. या फिर.. मै आपके लिए कुछ भी कर पाने में असमर्थ हूँ...इत्यादि...इत्यादि...|||
लेकिन करने वालो के लिए दुनिया में बहुत कुछ है.. जो हम सोच भी नहीं पाते...
*** एक बूढ़े किसान बाबा ने अपने जेल में बंद बेटे को ख़त लिखा:
" बेटा मै आलू की फसल नहीं बो सकता, इतना बड़ा खेत मुझसे नहीं खुदेगा| काश तू मेरी मदद कर पाता |"
बेटे ने वापस जवाब दिया:
"पिताजी आप खेत मत खोदना, क्युकी मैंने वह हथियार छुपा रखे है |"
बेटे द्वारा भेजा जाने वाला ख़त पढ़ा गया तो पुलिस अवाक् रह गयी |
अगले दिन पुलिस फ़ोर्स ने सारा खेत खोद दिया, मगर हथियार नहीं मिले|
दुसरे दिन बेटे ने फिर पिता को ख़त लिखा:
" पिता जी यहाँ से मै आपकी इतनी ही मदद कर पाउँगा, अब आप आलू की फसल बो सकते है |"
कहानी तो खत्म हो गयी, लेकिन सोचने को काफी कुछ छोड़ गयी | ऐसा नहीं की ये कहानी काल्पनिक है, ये एक आम आदमी के जीवन के कुछ पल है जिसके पास कुछ ना कर पाने की असमर्थता का कोई बहाना नहीं है|
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"आशु"
खुशहाली में इक बदहाली, तू भी है ......."
खुशहाली में इक बदहाली, तू भी है और मैं भी हूँ
हर निगाह पर एक सवाली, तू भी है और मै भी हूँ
दुनियां कुछ भी अर्थ लगाये,हम दोनों को मालूम है
भरे-भरे पर ख़ाली-ख़ाली , तू भी है और मै भी हूँ......."
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