एक पागल आदमी था | वो अपने आप को बहुत सुन्दर समझता था | जैसा की सब पागल समझतें हैं की पृथ्वी पर उस जैसा सुन्दर दूसरा कोई नहीं है | यही पागलपन के लक्षण है लेकिन वह आईने के सामने जाने से डरता था, लेकिन जब भी कोई उसके सामने आइना ले आता तो वह आईना फोड़ देता था | लोग पूछते ऐसा क्यों? तो वह कहता में इतना सुन्दर हूँ और आईना कुछ ऐसे गड़बड़ करता है की मुझे कुरूप बना देता है | मैं किसी आईने को नहीं सहूँगा | वह कभी आईना नहीं देखता |
मनुष्य भी पागल की तरह व्यवहार करता है | वह यह नहीं सोचता की आईना वही तस्वीर दिखाता है, जो मैं हूँ | आईने को मेरा कोई पता तो मालूम नहीं जो वह मुझे बदसूरत बनायेगा | लेकिन बजाये यह देखने की, हम आईना तोड़ने में लग जाते हैं | परेशानियों से दूर भागने वाले लोग उन्ही आईना तोड़ने वाले लोगो की तरह होते हैं | अगर संसार आपको दुःख का कारण लगने लगे, तो याद रखना संसार एक दर्पण से ज्यादा नहीं | अगर कांटें इकट्ठे किये हैं तो दिखाई तो पड़ेंगे | यह दुनिया हमारा ही अक्स है | क्या कभी कोई अपने अक्स को कैद कर पाया है, नहीं ना ? तो आप कैसे कर पायेंगे | अगर परेशानियों से पीछा छुड़वाना है तो खुद को बदलना होगा ना कि आईने को तोड़ना |
प्रस्तुतकर्ता
-"आशु"
yahi shahi hai ki ham sub duniya ko to nahi per apne app ko badal shakte hai
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