♣♣♣ " ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं, और नीचे जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं..."

Monday 1 August 2011

"गलती से भी बड़ी गलती है उस पर हँसना"

न्नीसवी सदी की बात है, एक बार महारानी विक्टोरिया लन्दन में राजनयिक सम्मान समारोह में शामिल थी| समारोह के सम्मानीय अतिथि थे अफ्रीका के शासन प्रमुख| समारोह में करीब ५०० कूटनीतिज्ञ तथा राजशाही परिवार के सदस्य भाग ले रहे थे| सभी एक साथ भोजन करने बेठे| भोजन परोसे जाने के दोरान सब कुछ ठीक रहा लेकिन जब फिंगर बोल (हाथ धोने का पात्र) सभी के सामने रखा गया तो यह कइयो की फजीहत का कारन बन गया| अफ़्रीकी शासन प्रमुख ने इससे पूर्व कभी फिंगर बोल नहीं देखा था| वह परंपरा इंग्लैंड में बहुत प्रसिद्ध थी| अफ़्रीकी राजनयिक को किसी ने इसके बारे में समझाना जरूरी नहीं समझा था|
समारोह में मोजूद सभी विशेष अतिथियों को लगा की उन्हें इसकी जानकारी होगी| उस राजयनिक ने फिंगर बोल को कुछ श्रनों तक देखा तथा उसके बाद उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर उठाया| इससे पहले की कोई उनसे कुछ कह पाता| उन्होंने कटोरे को मुहँ से लगाया और उसमें रखे पानी को एक साँस में पी गए| यह देखकर सभी अति विशिष्ट अतिथि सन्न रह गये| कुछ श्रनों के लिए मेज पर सन्नाटा छाया रहा तथा उसके बाद सभी ने काना फूसी शुरू कर दी| सभी को व्याकुल देख महारानी विक्टोरिया ने भी फिंगर बोल को अपने दोनों हाथों में लिया और उसे मुहँ से लगा कर उसमे पड़े पानी को पी गयीं| महारानी को हाथ धोने वाला पानी पीते देख सभी लोग चकित रह गये लेकिन एक एक कर सभी ने अपने अपने फिंगर बोल को मुहँ से लगाया और पानी पी गये|
यह महारानी विक्टोरिया का अनोखा का तरीका था जिससे उन्होंने अपने अतिथि की लाज रखी तथा उन्हें किसी शराम्नक परिस्तिथि में पड़ने से रोका| यह एक ऐसी कला है, जो सिर्फ एक अच्छे शासक में ही हो सकती है|

सीख:-  मानव प्रवृति है की कोई भी व्यक्ति हमेशा दुसरो का मजाक बनाने के बहाने खोजता रहता है| इससे सीख मिलती है की किसी की भी गलती पर हँसने के बजाये शांत रहना चाहिये| तेज दिमाग और सूझ भुझ के जरिये दुसरो को शर्मिंदा होने से बचाने के लिए उनकी गलती को दोहरा कर उन्हें सम्मान दिया जा सकता है|

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