"फूलों से तुम हँसना सीखो और भौरों से गाना |
वृक्षों की डाली से सीखो फल आके झुक जाना ||
सूरज की किरणों से सीखो जगना और जगाना |
मेहंदी के पत्तो से सीखो पीसकर रंग चढ़ाना ||
दूध और पानी से सीखो मिलकर प्रेम बढ़ाना |
सुई और धागों से सीखो बिछुड़े हुए मिलाना ||
कोयल से तुम सीखो बच्चो मीठे बचन सुनाना |
मीठे मीठे गीत सुनाकर सबका चित्त लगाना ||
नर तन पाकर के तुम सीखो सुखद समाज बनाना |
दीन दुखी की सेवा में ही अपना चित्त लगाना ||
झूठ कपट को त्यागो बच्चो शत मार्ग पर चलना |
कहें हितैषी सीखो बच्चों इन पद्यों को गाना ||"
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