♣♣♣ " ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं, और नीचे जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं..."

Friday 15 July 2011

आए हैं "आशु" मुँह को...

आए हैं "आशु" मुँह को बनाए जफ़ा से आज
शायद बिगड़ गयी है उस बेवफा से आज

जीने में इख्तियार नहीं वरना हमनशीं
हम चाहते हैं मौत तो अपने खुदा से आज

साक़ी टुक एक मौसम-ए-गुल की तरफ़ भी देख
टपका पड़े है रंग चमन में हवा से आज

था जी में उससे मिलिए तो क्या क्या न कहिये "आशु"
पर कुछ कहा गया न ग़म-ए-दिल हया से आज


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